शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग 11। मेरा परिवार
आज अमर मायरा की शादी को दो बर्ष होगये थे। मायरा से सभी बहुत प्यार करते थे। मायरा भी अपने सास ससुर देवर व ननद का बहुत ध्यान रखती थी।
मायरा की सास उसे अपनी सगी बेटी की तरह ही मानती थी ।उन्हौने उसे कभी भी बहू की तृह नहीं माना था। अमर अधिकतर बिजनिस के काम से बाहर के टूर पर ही रहता था।
इतना बडा़ परिवार हौने के बाद भी मायरा ने कभी शिकायत कख मौका नहीं दिया था। वह सुबह पाच बजे से ही काम के लिए दौड़ना शुरू कर देती थी।और यही भागमभाग रात को ग्यारह बजे तक चलती रहती थी।
मायरा ने एम बी ए किया था और वह शादी से पहले एक कम्पनी में जाब करती थी परन्तु शादी के बाद उसने परिवार के लिए जाँब भी छोड़दी थी। उसने परिवार के लिए अपनी जाब का सेक्रीफाइस किया था।
मायरा को जब कुछ समय मिलता तब वह मौबाइल पर ह्वट्सप व फेशबुक यू ट्यूब आदि चला लेती थी।
एक दिन अमर ने मायरा का मौबाइल चैक करना शुरू कर दिया वह यह देखकर हैरान होगया कि मायरा के सबसे अधिक दोस्त लड़के ही थे। उसेयह अच्छा नही लगा। जब सब खाने की मेज पर बैठकर खाना खारहे थे तब यह बात अमर ने खाने के समय ही शुरू करदी।
अमर बोला," मायरा क्या बात है तुम अब पुरुषौ से दोस्ती करना क्यौ बन्द नही करती हो। अभी भी तुम्हारे 90% दोस्त पुरुष ही है।"
मायरा उत्तर देते हुए बोली," तो क्या हुआ मेरे ये सब दोस्त कालेज टाइम के है। मै इनको डिलेट कैसे कर सकती हूँ।
अमर बोला," अब तुम शादी शुदा हो। अब तुम्है इन सबसे दूरी बनानी चाहिए।औरतौ को यह सब नहीं करना चाहिए।
मायरा:- अमर तुम्हारी भी तो कितनी ही दोस्त लड़किया है क्या तुमने उनको डिलेटत्रकर दिया है।
अमर :-=नहीं मै डिलेट क्यौ करू मेरे तो आफिस मे भी लड़किया काम करती है मै उनसे दूरी कैसे बना सकता हूँ।"
अमर की मम्मी:-बहू अमर सही कहरहा है तुम्है अब यह शोभा नहीं देता है।
मायरा:- मम्मी जी रजनी दीदी के तो सारे दोस्त लड़के ही है।
इतना सुनते ही अमर को गुस्सा आगया और उसने यह अपनी मम्मी व बहिन का अपमान समझकर मायरा के गाल पर एक थप्पड़ मार दिया।
मायरा को अमर से यह आशा नही थी कि वह उसपर हाथ उठा देगा। यह आज शादी के बाद पहली बार हुआ था। मायरा को यह सहन नही हुआ और उसने भी अमर केत्रगाल पर जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया जिसकी आवाज बहुत दूर तक गयी होगी।
मायरा बोली," मिस्टर औरत का सम्मान करना सीखो । मेरे पापा नेतुम जैसे पुरुषौ को सुधारने की शिक्षा बखूबी दी थी। वह कहते है बिना बजह सामने वाले को कुछ मत बोलो और वह कुछ बोले तो उसका जबाब उसीकी भाषा मे देना चाहिए। किसी का कुछ भी उधार मत रखो।"
अमर की मम्मी उसकी बातै सुनकर चुप थी।
मायरा बोली," मैने इस घर के लिए क्या नही किया अपनी नौकरी भी छोड़दी कि आप लोग खुश रहें। आप सबने मुझे कमजोर समझ लिया मै बहादुर बाप की बेटी हूँ जिसके नाम से आज भी दुश्मन के छक्के छूट जाते है। मुझे उन्हौने बीरता के संस्कार दिये है।"
मायरा से अमर के घर वाले डर गये क्यौकि इसका आरम्भ अमर ने ही कियाथा।वह डर गये कि यदि मायरा ने अपने पापा को शिकायत करदी तो सजा भी होसकती है।
इस घटना केबाद कोई भी मायरा से सीधे मुँह बात नहीं करता था। इस बात को एक माह बीत गया ।
अमर की बहिन एक दिन किसी से बात कर रही थी और काँप रही थी। यह मायरा बहुत देर से देख रही थी उसको समझते देर नही लगी। और उसने रजनी को पूछा," क्याबात है दीदी? आप रोक्यौ रही हो और काँप रही हो किससे बाय कर रही थी।
रजनी मायरा से चिपक गयी और रौने लगी।
मायरा रजनी से बोली," रजनी रोना बन्द करो और जो भी बात है मुझे बताओ। मै तुम्हारी भाभी हूँ यह बात हम दौनौ के बीच रहेगी किसी तीसरे को कानौ कान खबर नही होगी। "
रजनी को कुछ साहस आया और उसने बताया कि उसका दोस्त राहुल उसे ब्लैकमेल कर रहा है उसने उसकी एक वीडियौ बनाली है और वह उसे सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देरहा है इसके बदले घर के गहने देने को कह रहा है।
रजनी के दोस्त ने उसे नशे खिलाकर उससे बलात्कार किया थाऔर उसकी वीडियो बनाली थी। रजनी ने भय के कारण यह बात किसी को नहीं बताई थी।
मायरा ने रजनी के दोस्त को पकड़ने का प्लान बनाया। नकली गहने खरीदेगये। मायरा ने अपने पापा के दोस्त को फौन किया ।जो कमिश्नर थे। उनको पूरी कहानी समझाई और रजनी के दोस्त को पकड़ने का प्लान बना दिया।
रजनी ने अपने दोस्त को शहर के बाहर खन्डहर मे बुलाया। मायराने रजनी को बिना डरे वहाँ जाने को कहा।
रजनी एक औटो से वहाँ पहुची। औटो एक पुलिस आफीसर सिविल ड्रैस मे चलारहा था। जैसे ही रजनी ने गहने उसको दिये उसी समय छिपे हुए पुलिस वालौ ने उसे गि रफ्तार कर लिया। और उसे चारसौ बीस और अनेक धाराऔ के तहत जेल भेज दिया।
जब यह बात अमर व उसके मम्मी पापा को मालूम हुई तब उनको मायरा पर गर्व हुआऔर मायरा को गले से लगाकर प्यार किया।
इस घटना के बाद सभी लोग पुनः मायरा से प्यार करने लगे।और उनके परिवार में पहले जैसा आपस में प्यार स्थापित होगया।
नोट:- इस कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें परिवार के सभी सदस्यौ का सम्मान करना चाहिए। वह औरत हो अथवा पुरुष । औरत व पुरुष दौनौ बराबर के भागीदार है एवं एक दूसरे के पूरक है। यदि हमें अपने परिवार का साथ
शौर्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग ११
जान :- प्रेरक
नरेश श
Neha syed
14-May-2022 09:32 PM
👏👏
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Anam ansari
14-May-2022 09:21 PM
Nice
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Fareha Sameen
14-May-2022 09:18 PM
Nice
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